पेड़ होना

कविताएं

राम बाबू

1/2/20251 मिनट पढ़ें

सवाल में पूछा गया...

अगर दुबारा जन्म मिले तो क्या बनना चाहोगे?

मैं पेड़ होना चाहता हूं
ताकि, महसूस कर सकूं....


मिट्टी में मिलने के बाद, जान सकूं
मिट्टी से निकलने का पराक्रम क्या होता है
बारिश में बेसहारा भीगते रह जाने के बाद
कड़ी धूप में अपने पत्तों के सूख कर गिरने का दुःख क्या होता है
क्रांति के गीत न गुनगुना पाने का द्वंद
और अवाक निष्ठुर रह जाने से मन के भीतर क्या होता है
पूरी उम्र जड़ों में जकड़े होने की विवशता क्या होती है
ऊंची इमारतों और गहरे खानों के लिए समाधि होना क्या होता है
कोई उसकी छांव में बैठकर रोए तो उसे सांत्वना ना दे पाना कितना मुश्किल होता है
समझ सकूं कंटीलेदार पेड़ों का दुःख की वो फलदार वृक्ष क्यूं ना बन सकें,

पेड़-पेड़ के बीच जाति और नस्ल भेद क्या होता है
सजीव होकर मृत होना कि क्यों नहीं पूछी किसी ने अबतक उनकी खैरियत,
होना चाहता हूं पेड़ ताकि महसूस कर सकूं,
काट दिए जाने के बाद भी किनारों से नई कोपलों के सृजन का साहस
ताकि समझ सकूं कि इन सब के बावजूद क्यों जरूरी है प्रकृति में पेड़ होना
अपनी भुजाओं में पंछियों के लिए घर होना
मैं पेड़ होना चाहता हूं

-राम बाबू